दृष्टि (Vision)
“अप्प दीपो भव“
अर्थात् अपना प्रकाश स्वयं बनो। किसी दूसरे से उम्मीद करने की अपेक्षा अपना प्रकाश (प्रेरणा) स्वयं बनों। स्वयं तो प्रकाशित हो, लेकिन दूसरों के लिए भी एक प्रकाश स्तम्भ की तरह जगमगाते रहो। कोई भी किसी के पथ के लिए सदैव मार्ग प्रशस्त नहीं कर सकता, केवल आत्मज्ञान और अन्तर्रात्मा के प्रकाश से ही हम सत्य के मार्ग पर आगे बढ़ सकते है।
“गौतम बुद्ध“
उद्देश्य (Mission)
छात्राओं में शिक्षा के साथ चरित्र निर्माण, व्यक्तित्व का विकास, नागरिक और सामाजिक कर्त्तव्यों का पालन, सामाजिक सुख और कौशल की उन्नति, राष्ट्रीय संस्कृति का संरक्षण, आत्मनिर्भरता एवं स्वावलम्बी बनने के गुणों को विकसित कर उनका सर्वांगीण विकास करना।
महाविद्यालय गीत
हे भगवती माँ की बागवानी तुम्हारी जय हो, तुम्हारी जय हो
हे ज्ञान विद्या की राजधानी तुम्हारी जय हो, तुम्हारी जय हो
बहती सदा सद् की ज्ञान गंगा
बिखरे गगन तक सुरभि सुगंधा
पवित्र परिसर सदा हमारा तुम्हारी जय हो, तुम्हारी जय हो।
हे भगवती माँ की बागवानी तुम्हारी जय हो, तुम्हारी जय हो
हे ज्ञान विद्या की राजधानी तुम्हारी जय हो, तुम्हारी जय हो
साहित्य, वाणिज्य, कला का उद्गम
है नव्य ज्ञान का अद्भुत ये संगम
हो ताजनगरी की तुम शानी तुम्हारी जय हो, तुम्हारी जय हो।
हे भगवती माँ की बागवानी तुम्हारी जय हो, तुम्हारी जय हो
हे ज्ञान विद्या की राजधानी तुम्हारी जय हो, तुम्हारी जय हो
बी0डी0 जैन का यह वट पुरातन
यहाँ की संस्कृति ज्ञानानुशासन
तजे तमस फैले उजियारी तुम्हारी जय हो, तुम्हारी जय हो।
हे भगवती माँ की बागवानी तुम्हारी जय हो, तुम्हारी जय हो
हे ज्ञान विद्या की राजधानी तुम्हारी जय हो, तुम्हारी जय हो
अडिग विश्वास अटल उर अन्दर
बड़े चले हम निडर निरन्तर
करे हम वंदन सदा तुम्हारी, तुम्हारी जय हो, तुम्हारी जय हो
हे भगवती माँ की बागवानी तुम्हारी जय हो, तुम्हारी जय हो
हे ज्ञान विद्या की राजधानी तुम्हारी जय हो, तुम्हारी जय हो
सदा बढ़े उपवन ये हमारा
रहे कुटुम्ब सम वसुधैव सारा
ऐसा अभयवर दो वागरानी, तुम्हारी जय हो, तुम्हारी जय हो।